मेरी बात सुनो!
यह किताब कुछ बहादुर महिलाओं के बारे में है। बहादुर इसलिए कि हमारे देश में किसी व्यक्ति का अदालत जाना ही कठिन है, महिलाओं के लिए तो यह और भी मुश्किल है क्योंकि उन्हें परिवार से इसके लिए आर्थिक और भावनात्मक सहयोग नहीं मिलता। सामाजिक परंपराएं और महिलाओं की सामाजिक स्थिति भी इसके अनुकूल नहीं है। वर्तमान न्यायिक तंत्र से भी उन्हें इसके लिए प्रोत्साहन नहीं मिलता। यह एक ऐसी किताब है, जो हर महिला और लिंग आधारित भेदभाव से घृणा करने वाले व्यक्ति से शिद्दत से बतियाती है।
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